नरसिंहपुर। मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी माँ नर्मदा थपथपा रहे हैं। माँ नर्मदा के नाम पर भक्तों द्वारा चढाई सम्पूर्ण देश एवं प्रदेश में आस्था का प्रमुख केंद्र ___ गई चुनरी भी आज मैया का श्रृंगार नही बचा पा रही है। हैं,विभिन्न तीज त्योहारों पर हजारों लाखों की संख्या में क्योंकि भक्ति और भावनाओं में डूबे हुए भक्त अपनी श्रद्धालुओं की भीड़ मैया के दर्शन एवं पूजन हेतु उमड़ती जिम्मेदारी निभाना ही नही चाहते,कोई व्यक्ति अपने घर है,बीते दिनों नर्मदा जयंती के अवसर पर भी लाखों भक्त रेत मंगाने से पहले सप्लायर से नही पूछते की रेत की नर्मदा मैया के विभिन्न घाटों पर दर्शन हेतु पहुंच नर्मदा रॉयल्टी है या नही क्योंकि हमें भी चंद रुपये बचाने हैं मैया का नाम सुनते ही जिनका मन श्रध्दा भाव से डूब और फिर रेत चोरों ने तो पहले ही ईमान धर्म सब बेच जाता है,आखिर क्यों वही लोग नर्मदा मैया की चीत्कार दिया है। आखिर यह कैसी भक्ति है जो अपने आराध्य को नही सुन पाते क्या सिर्फ नारियल फोड़ देने से को संकट में देखकर भी दृवित नही होती,और दूसरी ,अगरबत्ती लगा देने से ,चुनरी चढ़ा देने से या फिर ओर रेतासुर सत्ताधीशों से वरदान प्राप्त कर मैया के श्रृंगार पूर्णिमा और अमावस्या को नर्मदा स्नान कर लेने से को नोचते जा रहे हैं। नर्मदा संरक्षण की ठेकेदारी कर रहे आपकी नर्मदा भक्ति सफल हो गई..क्या इससे आपकी महानभव भी मँहदेखी कार्यवाही करवाकर नर्मदा भक्त और हमारी जिम्मेदारी खत्म हो गई। क्या माँ की व्यथा बने बैठे हैं,प्रतिदिन अखबारों में एवं शोसल मीडिया पर और पीड़ा की दर्द भरी चीख सुनकर भी अनसुनी डंपरों एवं ट्रेक्टरों से अवैध खनन की तस्वीरें वायरल करना...देखकर भी अनदेखी करना भी हमारी नर्मदा दा हो रही हैं और जिम्मेदार डक्का दका कार्यवाही कर अपने हो रही हैं,और जिम्मेदार इक्का दुक्का कार्यवाही कर अपने भक्ति है ।आज भी जिले में बडे बडे धरंधर नेताओं के रिकॉर्ड दरुस्त करने में व्यस्त है। और मैया के श्रृंगार के होते हुए भी जगह जगह बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन अपहरण में सबसे बड़े दोषी हैं वह कभी कभार बाले जारी है। करहैया घाट ,मुर्गाखेड़ा,शगुन घाट,महादेव नर्मदा भक्त जो सिर्फ चुनरी चढ़ाकर अपने कर्तव्य की पिपरिया,सांकल घाट, घाट पिपरिया, बरमकुंड, इतिश्री समझते हैं,और जब जिम्मेदार नेताओं और झाँसीघाट,रेवानगर घाट, समेत दर्जनों स्थानों पर सरेआम अधिकारियों से सवाल पूछने की बात आती है तो अवैध खनन जारी है...नेता नर्मदा की कसमें खाकर अपनी नर्मदा मैया को भूल जाते हैं. वह तो बेईमान सत्ता में बैठे हैं,अधिकारी खानापूर्ति के लिए मगरमच्छों हैं,जो माँ का श्रृंगार नोच रहे..! को छोड़कर छोटी मछलियों को पकड़कर अपनी पीठ तुम तो उसके बेटे हो,मौन खड़े क्या सोच रहे.?
तुमने चुनरी तो चढ़ा दी, पर माँ का श्रृंगार